दिल-ए-परखूँ में नेज़ा टूटता है सर-ए-एहसास क्या क्या टूटता है हवा सर पीटती है शाख़-ए-जाँ से कहीं जो दूर ग़ुंचा टूटता है पर-ए-ताऊस रक़्स-ए-रँग-ओ-निकहत कहीं पैरों से तारा टूटता है कहीं घुंघरू कहीं शीशा कहीं दिल कहीं अहद-ए-वफ़ा सा टूटता है कहीं बर्फ़ाब हो जाती हैं धूपें कहीं साया सरापा टूटता है मशाम-ए-जाँ मुनव्वर बर्ग-ए-गुल सा सर-ए-मरक़द हयूला टूटता है मैं दब जाता हूँ बे-आवाज़ 'ज़ाहिद' जहाँ मा'बद का मलबा टूटता है