अजब मुश्किल है आसानी बहुत है मोहब्बत में पशेमानी बहुत है निगाह-ए-शौक़ रुस्वा हो रही है नज़र में आज उर्यानी बहुत है मिरे जज़्बात कब के मर चुके हैं मिरा दिल देख जिस्मानी बहुत है वफ़ा के नाम से मंसूब है जो उस इक महफ़िल में वीरानी बहुत है नहीं आसान उल्फ़त का सफ़र ये जुनूँ है आग है पानी बहुत है भले ही हम-सफ़र मत बोल मुझ को ज़रा सा देख ले जानी बहुत है परखना मत किसी को इल्म से अब पढ़े-लिख्खों में नादानी बहुत है