आज की रात याद आएगी एक इक बात याद आएगी चाँदनी में बहम नियाज़-ओ-नाज़ ये मुलाक़ात याद आएगी चंद लम्हों की सोहबत-ए-रंगीं अक्सर औक़ात याद आएगी इश्क़ को अपनी सादगी के साथ हुस्न की घात याद आएगी दिल की हर बूँद बन गई छाला अब के बरसात याद आएगी उन से ज़िक्र-ए-वफ़ा जो चल निकला बात पर बात याद आएगी सुब्ह-ए-रफ़्ता में भी 'अदीब' हमें शाम-ए-नग़्मात याद आएगी