आज रंग भी लाई दिल की बज़्म-आराई छुट गया है हाथों से दामन-ए-शकेबाई दीदा-ए-मोहब्बत की अश्क-रेज़ियाँ क्या थीं ख़ुश्क हो गई क्यूँकर दो-जहाँ की पहनाई ये भी इक बहाना था तुम को आज़माने का वर्ना जीने वालों को मौत भी न रास आई वहम से गुज़रना था ए'तिबार करना था ठोकरें न खाएगी मेरी जादा-पैमाई महव कर दिया किस ने शोर-ए-मै-कदा सारा किस ने होश खोया है किस को तेरी याद आई मिट गई है बे-कैफ़ी बाल-ओ-पर की ईमा से या निगाह की हसरत क़िस्मतें बदल लाई सुर्मा बन गए 'अंजुम' दाग़-हा-ए-पेशानी कौन छीन सकता है संग-ए-दर की बीनाई