दुनिया-दारी के चक्कर में देखो क्या क्या भूल गए झूठे रिश्ते याद रहे सब सच्चा रिश्ता भूल गए तुम उस दिन कुछ कहने वाले थे मुझ से बतलाओ अब अच्छा ठहरो बतलाता हूँ और फिर कहना भूल गए जिस रस्ते पर सौ आफ़त है हम ने उसे आबाद किया जो दिल से दिल तक जाता था सीधा रस्ता भूल गए उन बाहों को याद नहीं क्या उन की ज़िम्मे-दारी थी इस तन को भी याद नहीं है क्यों हम सजना भूल गए आज मिलेंगे तो कह देंगे मन में रक्खी सब बातें कितना कुछ उस से कहना था लेकिन कहना भूल गए दिल से दिल तक जाने में आसानी थी सो चले गए जाना ही बस याद रहा है लौट के आना भूल गए ग़लती कर के अख़बारों में छपवाने का फैशन है अपने किए पर हम शर्माना और पछताना भूल गए सुल्ह-सफ़ाई 'अंजना' मैं ने उस से कर तो ली लेकिन दिल भी था नाराज़ बहुत उस को समझाना भूल गए