आँख को अश्क बना के देख फिर दर्शन को जा के देख मंज़िल की क़ीमत मत पूछ राह में धक्के खा के देख पत्थर भी खिल उट्ठेंगे एक नज़र मुस्का के देख का'बा काशी देख लिए मेरे भी घर आ के देख दुनिया मेरी मुट्ठी में लोगों को बहका के देख अँधियारों को जोत बना ख़ामोशी को गा के देख कब तक पूजा ग़ैरों की ख़ुद पे ईमाँ ला के देख