आँखों से हया टपके है अंदाज़ तो देखो है बुल-हवसों पर भी सितम नाज़ तो देखो उस बुत के लिए मैं हवस-ए-हूर से गुज़रा इस इश्क़-ए-ख़ुश-अंजाम का आग़ाज़ तो देखो चश्मक मिरी वहशत पे है क्या हज़रत-ए-नासेह तर्ज़-ए-निगह-ए-चश्म-ए-फ़ुसूँ-साज़ तो देखो अरबाब-ए-हवस हार के भी जान पे खेले कम-तालई-ए-आशिक़-ए-जाँ-बाज़ तो देखो मज्लिस में मिरे ज़िक्र के आते ही उठे वो बदनामी-ए-उश्शाक़ का एज़ाज़ तो देखो महफ़िल में तुम अग़्यार को दुज़-दीदा नज़र से मंज़ूर है पिन्हाँ न रहे राज़ तो देखो उस ग़ैरत-ए-नाहीद की हर तान है दीपक शो'ला सा लपक जाए है आवाज़ तो देखो दें पाकी-ए-दामन की गवाही मिरे आँसू उस यूसुफ़-ए-बेदर्द का ए'जाज़ तो देखो जन्नत में भी 'मोमिन' न मिला हाए बुतों से जौर-ए-अजल-ए-तफ़रक़ा-पर्दाज़ तो देखो