आना भी आने वाले का अफ़्साना हो गया दुश्मन के कहने सुनने से क्या क्या न हो गया क्या फ़ैज़याब सोहबत-ए-रिंदाना हो गया दम-भर में शैख़ साक़ी-ए-मय-ख़ाना हो गया सुनते हैं बंद फिर दर-ए-मय-ख़ाना हो गया दूर अयाग़-ओ-शग़्ल-ए-मुल अफ़्साना हो गया मिलने के बा'द बैठ रहा फेर कर निगाह ज़ालिम यगाना होते ही बेगाना हो गया अपनों से भी ज़ियादा जो पाया नियाज़-मंद वो बे-नियाज़ और भी बेगाना हो गया ना-आश्ना रहा तो यगाना बना रहा होते ही आश्ना कोई बेगाना हो गया माना कि मुद्दई से कोई मुद्दआ न था फिर क्या सबब था तर्क जो याराना हो गया किस तरह अपनी ख़ाना-ख़राबी अयाँ करे वो दिल जो पर्दे वालों का काशाना हो गया आने का वा'दा कर के वो हँसते हुए चले मा'लूम अभी से लुत्फ़-ए-क़दीमाना हो गया जान इस दिलावरी से तिरे मनचले ने दी मक़्तल में शोर-ए-हिम्मत-ए-मर्दाना हो गया फिर भी सवाल-ए-वस्ल का मौक़ा नहीं मिला सौ बार गो कलाम-ए-कलीमाना हो गया वो दिल-जला था मैं कि तिरी शम-ए-हुस्न पर जल कर निसार सूरत-ए-परवाना हो गया मजनूँ जो बन गया किसी लैला-अदा का मैं फिर क्या था नज्द ख़ुद मिरा वीराना हो गया गेसू बनाए जाइए आप अपने शौक़ से हो जाने दीजिए जो मैं दीवाना हो गया पी ली 'हिजाब' हाथ ही से आज मैं ने मय चुल्लू मिरा मिरे लिए पैमाना हो गया