आँख में रतजगा तो है ही नहीं हिज्र का तज़्किरा तो है ही नहीं मिल गया तू तो मिल गया सब कुछ और कुछ माँगना तो है ही नहीं एक ही रास्ता नजात का है दूसरा रास्ता तो है ही नहीं अक्स मुझ को दिखा रहा है कौन सामने आइना तो है ही नहीं मा'ज़रत कर न बेवफ़ा कह कर अब मुझे मानना तो है ही नहीं ये मरज़ इश्क़ का मरज़ है मियाँ इस मरज़ की दवा तो है ही नहीं आप अपनों में अब नहीं शामिल आप से अब गिला तो है ही नहीं दोस्तों पर यक़ीन पुख़्ता है दुश्मनों पर शुबह तो है ही नहीं