अपनी आँखों में तिरे ख़्वाब सजाने वाला अब यहाँ कोई नहीं तुझ को मनाने वाला क्या से क्या अब तिरे हालात हुए जाते हैं वक़्त अच्छा नहीं लगता मुझे आने वाला मेरे महबूब तू लैला की लड़ी से न सही पर मिरा इश्क़ है मजनूँ के घराने वाला मैं न कहता था बदल जाएगा आख़िर तू भी भा गया है न तुझे रंग ज़माने वाला छोड़ जाते हैं सभी राह में लेकिन मिरे यार यूँ भी जाता है कोई छोड़ के जाने वाला