आँख उन से मिलाने से क्या फ़ाएदा और दिल को लगाने से क्या फ़ाएदा कोई सपना इन आँखों को भाता नहीं फिर इन्हें नींद आने से क्या फ़ाएदा रोता चेहरा कोई हँस न पाया कभी इस तरह मुस्कुराने से क्या फ़ाएदा गर किसी ठोर कोई उजाला न हो तो ये दीपक जलाने से क्या फ़ाएदा फ़र्क़ पड़ता नहीं है अगर उस तरफ़ सर ये ऊँचा उठाने से क्या फ़ाएदा