आप और हम सलाम भी न करें नफ़रतें इतनी आम भी न करें कुछ न बोलें तिरे ख़िलाफ़ मगर ख़ुद से क्या अब कलाम भी न करें कर नहीं पाएँ गर हिफ़ाज़त आप क़त्ल का इंतिज़ाम भी न करें कुछ न कुछ हम से काम है वर्ना आप यूँ तो सलाम भी न करें लोग हमदर्दियाँ जताने लगें दर्द को इतना आम भी न करें सिर्फ़ उलझे रहें सियासत में लोग क्या काम-वाम भी न करें