आप-बीती हो वो या कोई कहानी कहिए बात जो कहिए वो उर्दू की ज़बानी कहिए कोई दिलदार तो मिलता ही नहीं है किस से दर्द-ए-दिल दर्द-ए-जिगर सोज़-ए-निहानी कहिए आदमी आदमी के ख़ून का प्यासा है यहाँ आज-कल ख़ून को बहता हुआ पानी कहिए देश की सारी ज़बानों की ज़बाँ है उर्दू इस को यक-जेहती-ए-क़ौमी की निशानी कहिए गर्म बाज़ार है अब नफ़रत ओ बे-ज़ारी का जिंस-ए-तहज़ीब-ओ-शराफ़त की गिरानी कहिए ज़ुल्फ़-ओ-रुख़सार-ओ-ख़त-ओ-ख़ाल-ओ-लब-ए-जानाँ की बात कहिए तो ग़ज़ल ही की ज़बानी कहिए वक़्त कहता है कि नफ़रत के परस्तारों से उल्फ़त-ओ-महर-ओ-मोहब्बत की कहानी कहिए चाँद से बढ़ के वतन की ये ज़मीं है उस को ख़ुशनुमा कहिए हसीं कहिए सुहानी कहिए शे'र बन कर जो निकलते हैं मिरे दिल से 'नज़र' अपने जज़्बात ग़ज़ल ही की ज़बानी कहिए