भूलूँ तुम्हें वो बशर नहीं हूँ By Ghazal << आप-बीती हो वो या कोई कहान... उस से गिला करूँ कि उसे भू... >> भूलूँ तुम्हें वो बशर नहीं हूँ इतना भी बे-ख़बर नहीं हूँ अल्लाह रे फ़र्त-ए-काहिश-ए-तन हर-चंद कि हूँ मगर नहीं हूँ दिखलाई न दूँ ये ग़ैर-मुमकिन कुछ आप की मैं कमर नहीं हूँ बेहाल कहे न जाने दूँगा आशिक़ हूँ नामा-बर नहीं हूँ Share on: