आप का इंतिज़ार है अब तक दिल बहुत बे-क़रार है अब तक वा'दा कर के भी वो नहीं आए वा'दे का ए'तिबार है अब तक फिर न आया हमारे बाद कोई क्या वही रहगुज़ार है अब तक आशियाँ जल के मुद्दतें गुज़रीं बर्क़ क्यों शो'ला-बार है अब तक फ़स्ल-ए-गुल आई है गुलिस्ताँ में क्यों फ़ज़ा सोगवार है अब तक जाने वाले चले गए लेकिन ख़ाली दिल का दयार है अब तक जिस ने हम को भुला दिया दिल से ऐ 'ज़मीर' उस से प्यार है अब तक