आप के पास मिरे दर्द का दरमाँ भी नहीं ख़ैर फ़ितरत मिरी मिन्नत-कश-ए-एहसाँ भी नहीं मेरे चेहरे से मिरे दर्द का अंदाज़ा ग़लत वो फ़साना हूँ कि जिस का कोई उनवाँ भी नहीं किस से रूदाद कहूँ राह की दुश्वारी की हम-सफ़र अब तो मिरी गर्दिश-ए-दौराँ भी नहीं मैं ने एहसास के बुत तोड़ दिए हैं 'मोहसिन' अब मिरे सर मिरे अहबाब का एहसाँ भी नहीं