आप मिल जाएँगे कहीं न कहीं ज़ख़्म छिल जाएँगे कहीं न कहीं क्या तलाश-ए-रफ़ू-गराँ कीजे चाक सिल जाएँगे कहीं न कहीं न मिला उन का दर तो दार सही अहल-ए-दिल जाएँगे कहीं न कहीं हम ग़रीबों की आह से इक दिन क़स्र हिल जाएँगे कहीं न कहीं संग-ए-दर से उठे तो सीने पर रख के सिल जाएँगे कहीं न कहीं आओ चलते हैं अब मिला के क़दम दिल भी मिल जाएँगे कहीं न कहीं गुल खिलाता रहे जहाँ 'आलिम' फूल खिल जाएँगे कहीं न कहीं