आप निगाह-ए-मस्त से पत्थर को आब कीजिए थामिए आब हाथ में और शराब कीजिए कार-ए-वफ़ा का जब नहीं कोई सिला जनाब-ए-इश्क़ बंदा नया तलाशिए मेरा हिसाब कीजिए आ ही गए हैं आप तो इतना करम कि दो क़दम चल के हमारे साथ दिल सब के कबाब कीजिए चाय में मत मिलाइए शकर कि है ज़रर-रिसाँ शामिल मिठास वास्ते अपना लुआब कीजिए हम ने कहा कि आप के होंटों से एक काम है बंद-ए-नक़ाब खोल कर बोले जनाब कीजिए तोहमत-ए-ज़ोहद ले के हम बैठे हुए हैं मुंतज़िर कुछ तो क़रीब आइए कुछ तो ख़राब कीजिए दाल नहीं जनाब की गलने की बज़्म-ए-हुस्न में उठिए नशिस्त छोड़िए बंद किताब कीजिए