आरज़ू-ए-दवाम ने मारा जल्वा-ए-सुब्ह-ओ-शाम ने मारा सर-कशी गाम गाम पर मुझ से इस दिल-ए-बद-लगाम ने मारा इब्तिदा की न इंतिहा की ख़बर क़िस्सा-ए-ना-तमाम ने मारा अक़्ल ख़ुद ही शिकार-ए-जज़्बा हुई ग़ज़नवी को ग़ुलाम ने मारा हिर्स ने कुछ भी देखने न दिया दाना-ए-ज़ेर-ए-दाम ने मारा सच तो ये है कि इब्न-ए-आदम को जज़्बा-ए-इंतिक़ाम ने मारा मैं 'अमीं' कब फ़रेब खाता था दहर के एहतिमाम ने मारा