चश्म-ए-मयगून-ए-यार के सदक़े निगह-ए-सेहर-कार के सदक़े नोक-ए-मिज़्गाँ की है ख़लिश पुर-कैफ़ नर्गिस-ए-ख़ार-दार के सदक़े ये अदा भी है किस क़दर दिलकश चश्म-ए-जानाँ के प्यार के सदक़े है तकल्लुम कि रक़्स-ए-बर्क़-ए-शफ़क़ है दुर-ए-शाहवार के सदक़े उस ख़िरामाँ-निहाल के क़ुर्बां और उस की बहार के सदक़े हुस्न ही हुस्न सर से पाँव तक मैं सरापा-निगार के सदक़े मैं 'अमीं' उन की तमकनत पे फ़िदा वो मिरे इंकिसार के सदक़े