आसमाँ खोल दिया पैरों में राहें रख दीं फिर नशेमन पे उसी शख़्स ने शाख़ें रख दीं जब कोई फ़िक्र जबीं पर हुई रक़्साँ मैं ने ख़्वाब आँखों में रखे आँखों पे पलकें रख दीं दरमियाँ ख़ामुशी पहले तो न आई थी मगर बातों बातों में ही उस ने कई बातें रख दीं उस ने जब तोड़ दिए सारे तअ'ल्लुक़ मुझ से खींच कर सीने से फिर मैं ने भी साँसें रख दीं मेरी तन्हाई से तंग आ के मिरे ही घर ने आज थक-हार के दहलीज़ पे आँखें रख दीं