इक नशा सा मुझे हुआ कोई By Ghazal << आसमाँ खोल दिया पैरों में ... शोर-ए-अतश जो फूलों की हर ... >> इक नशा सा मुझे हुआ कोई आँख उन से लड़ा रहा कोई क्या मिरे पास अब नहीं कुछ भी क्यों नहीं कर रहा दग़ा कोई ग़म मुसीबत में साथ देता है काश हो फिर से हादिसा कोई याद तो आप को ही करता हूँ याद आता है दूसरा कोई Share on: