आसमाँ टूट पड़ा है छत पर मुतमइन हूँ कि ख़ुदा है छत पर ये टपकने की नहीं है प्यारे कसरत-ए-ज़र की दुआ है छत पर मुझ में अब तक है यही ख़ौफ़ बसा चीख़ में डूबी सदा है छत पर एक मुफ़्लिस ने कहा बारिश से देख मेरा भी ख़ुदा है छत पर वक़्त नीचे भी उतारेगा उसे उम्र भर कौन रहेगा छत पर महव-ए-हैरत है हर इक बीनाई कोई तो खेल बपा है छत पर राह में आए तो लगता है भला देखने में जो बुरा है छत पर चाँद उतरा है मिरे पहलू में नूर में डूबी फ़ज़ा है छत पर जब से रस्ते पे लगी हैं नज़रें रास्ता बनता गया है छत पर हब्स कमरे का बताने आया मोहतरम आज हुआ है छत पर शौक़ से देख रही है दुनिया हुस्न-ए-तसवीर बना है छत कर ये भी रुख़्सत का अजब लम्हा है शहर का शहर खड़ा है छत पर वक़्त रस्ते से उठा लाया है देख 'शाहिद' भी गया है छत पर