आवाज़ में आवाज़ मिलाते ही रहे हम By Ghazal << हम तो हैं हसरत-ए-दीदार के... इला या शाह-ए-ख़ूबाँ कीजिए... >> आवाज़ में आवाज़ मिलाते ही रहे हम रोती ही रही रूह सो गाते ही रहे हम जल उठने में जल बुझने में इक लम्हा लगा था फिर ख़्वाब सर-ए-दीद उड़ाते ही रहे हम हर ख़ंदा-ए-बे-ताब था मक़्तूल हमारा वैसे तो हँसे और हँसाते ही रहे हम Share on: