अब जी रहा हूँ गर्दिश-ए-दौराँ के साथ साथ By Ghazal << दम जुनूँ की हद-ए-इंतिहा प... बहुत राज़ हैं ज़िंदगी से ... >> अब जी रहा हूँ गर्दिश-ए-दौराँ के साथ साथ ये नागवार फ़र्ज़ अदा कर रहा हूँ मैं ऐ रब्ब-ए-ज़ुल-जलाल तिरी बरतरी की ख़ैर अब ज़ालिमों की मद्ह-ओ-सना कर रहा हूँ मैं 'शोरिश' मिरी नवा से ख़फ़ा है फ़क़ीह-ए-शहर लेकिन जो कर रहा हूँ बजा कर रहा हूँ मैं Share on: