अब सफ़र में है रास्ता बन कर क्या मिला है तुझे हवा बन कर बात भी रह गई अधूरी ही लफ़्ज़ भी खो गया सदा बन कर ख़ुद से आगे निकलता जाता है चल रहा है वो रास्ता बन कर फिर से उस को तलाश करना है लौट आया है वो नया बन कर रोज़ इक हादसे से गुज़रा है जी रहा है वो मो'जिज़ा बन कर मेरे हिस्से में आ गया कोई इक मसाइब का सिलसिला बन कर सब्ज़ पोशाक में निखर आया पेड़ अच्छा लगा हरा बन कर