अब वो रातें और वो बातें कहाँ चोरी चोरी वो मुलाक़ातें कहाँ आती जाती हर बरस हैं आज भी वो मगर पहली सी बरसातें कहाँ हर नज़र पर हारना दिल सौ दफ़ा ऐसी प्यारी अब वो हैं मातें कहाँ कोई ऊँचा या कि नीचा है नहीं हैं बनाई रब ने ये ज़ातें कहाँ एक दिन पूछोगे तुम इस शहर में खो गईं 'नासिर' ख़राबातें कहाँ