अभी बुझो न सितारो ज़रा ठहर जाओ ऐ मेरी आँख के तारो ज़रा ठहर जाओ हूँ सर पे बोझ लिए ज़िंदगी का कब से खड़ा ये मेरा बोझ उतारो ज़रा ठहर जाओ चले हो तुम भी बहुत पानियों के साथ मगर थके थके से किनारो ज़रा ठहर जाओ लुटी हुई सी ये महफ़िल भी तुम से जाग उठे लुटे हुए से सहारो ज़रा ठहर जाओ वो जिस के नाम हमारी ये चंद साँसें हैं उसे कहीं से पुकारो ज़रा ठहर जाओ है फिर से ख़ूँ की ज़रूरत मिरे क़बीले को ऐ दिल मुझी को पुकारो ज़रा ठहर जाओ ये जानते हैं कि 'ज़रयाब' फिर ख़िज़ाँ होगी ज़रा सा वक़्त बहारो ज़रा ठहर जाओ