अभी न छेड़ मिरे दिल के तार रहने दे अभी सुकूँ से ग़म-ए-हिज्र-ए-यार रहने दे ग़लत है झूट है इल्ज़ाम है ये तोहमत है न बेवफ़ा मुझे कह कर पुकार रहने दे जुदा न होगी मिरे दिल से याद अब उस की मिटेगा दिल से न ग़म ग़म-गुसार रहने दे परिंदे प्यास में पानी तलाश करते हैं नहीं नहीं न कर उन का शिकार रहने दे है कितना दिल में तिरे जज़्बा-ए-वफ़ादारी मुझे ख़बर है तग़ाफ़ुल-शिआ'र रहने दे कुछ उस के रहम-ओ-करम की भी बात कर ज़ाहिद ये ज़िक्र-ए-क़हर-ए-ख़ुदा बार बार रहने दे ये आसमाँ के सितारों से कम नहीं 'शहज़र' न होंगे ज़ख़्म जिगर के शुमार रहने दे