अच्छे इंसान ख़्वाब जैसे हैं एक अछूती किताब जैसे हैं कहने दीजे मुझे के माँ हूँ मैं मेरे बच्चे गुलाब जैसे हैं मेरी ख़ुश-फ़हमियों के ताज-महल मेरे अहद-ए-शबाब जैसे हैं ऐ सबा देख दिल के कूचे में कौन ख़ाना-ख़राब जैसे हैं शेर-ओ-नग़्मा मुसव्विरी शो-बिज़ शौक़ सारे शराब जैसे हैं जितने नाकाम हैं मोहब्बत में वो भी सब कामयाब जैसे हैं ऐ 'वफ़ा' चूम नौनिहालों को इन के चेहरे गुलाब जैसे हैं