अदा पूरी कहाँ क़ीमत करी है अभी तो आँख ही मैं ने भरी है खुलूँगा तुम से तब तुम पर खुलेगा नज़र आना निहायत सरसरी है मैं उजरत पर बना हूँ शाहज़ादा ये पहलू में किराए की परी है मगर ये आइना कहता है मुझ से तू मेरी क़ाबिलिय्यत पर मरी है यहाँ पर सब बराबर हैं सभी के यहाँ सब को सभी पर बरतरी है