अदना सी एक चीज़ वफ़ा जिस का नाम है है तो वो एक सोज़ मगर ना-तमाम है मुझ को हक़ीक़तों की ख़बर है मिरे शुऊ'र लेकिन जो इंतिज़ाम है वो इंतिज़ाम है ये अहल-ए-इक़्तिदार हैं दो चार रोज़ के हम हैं हमें तो जीना है हम को दवाम है गुस्ताख़ जानता है मुझे एक ऐसा शख़्स जिस का मिरी नज़र में बहुत एहतिराम है मैं उस की खोज में हूँ वो मेरी तलाश में मुझ को है उस से काम उसे मुझ से काम है राही सफ़र के तूल से घबरा रहा है क्यों दो चार गाम और कि फिर इख़्तिताम है जीना है अच्छी बात है जीना इसी लिए इन को भी राम राम उन्हें भी सलाम है