अदू कहते हैं मैं अच्छा नहीं हूँ बुरा हूँ क्यूँकि उन जैसा नहीं हूँ दर-ओ-दीवार हैं हमराज़ मेरे अकेला हूँ मगर तन्हा नहीं हूँ उठाया था मुझे पहलू से तू ने किसी पहलू में फिर बैठा नहीं हूँ दरून-ए-दिल तिरी यादें हैं अब भी मैं तुझ को भूल तो पाया नहीं हूँ बिछड़ कर भी हँसूँ ख़ुश-बाश रह लूँ मुनाफ़िक़ हूँ मगर इतना नहीं हूँ किसी के बस में हो तो पार कर ले मैं गहरा हूँ मगर मैला नहीं हूँ समझती है मुझे वो दूसरों सा मगर मैं दूसरों जैसा नहीं हूँ अली का चाहने वाला था सो मैं अकेला था मगर भागा नहीं हूँ