अदू के शहर में कब बे-असर हूँ ख़ुदा का शुक्र है जो मो'तबर हूँ सितारा हूँ कि मैं रौशन क़मर हूँ दुआ माँ की है जिस का मैं समर हूँ बहारें क्यूँ न फिर से लौट आएँ उन्हें मा'लूम है मैं भी इधर हूँ इसी सहरा से मेरी निस्बतें हैं जहाँ का मैं ही इक वाहिद शजर हूँ मोहब्बत जुर्म है किस ने कहा है बता दो सब को मैं दिल में अगर हूँ बला का हौसला मुझ को मिला है बहुत दुश्वार है रस्ता जिधर हूँ जिसे सुन कर सभी हैरान हैं क्यूँ तुम्हें लगता है मैं ऐसी ख़बर हूँ दरीचे में जो रक्खा जल रहा है दिया ऐसा हवा के दोश पर हूँ बुलंदी छू के आऊँ आसमाँ की परिंदा हूँ सदा महव-ए-सफ़र हूँ तुम्हारे अहद की हूँ मुन्हरिफ़ तो सज़ा मिल कर रहेगी बा-ख़बर हूँ