अगर दुश्मन की थोड़ी सी मरम्मत और हो जाती तो फिर उल्लू के पट्ठे को नसीहत और हो जाती शब-ए-वा'दा मैं उन की कम-सिनी से डर गया वर्ना ज़रा सी बात पर नाज़िल मुसीबत और हो जाती यही अच्छा हुआ तू ने जो ज़ुल्फ़ों को मुँडा डाला नहीं तो तेरे दीवानों की हालत और हो जाती अगर तुम नीम-उर्यां हश्र के मैदाँ में आ जाते क़यामत में फिर इक बरपा क़यामत और हो जाती शराब-ए-नाब की करता मज़म्मत फिर न भूले से जो मय-ख़ाने में वाइज़ की मरम्मत और हो जाती न उन की कम-सिनी से मैं सज़ा पाता अदालत से जो उन के आश्नाओं की शहादत और हो जाती लगा करती हज़ारों आशिक़ों को बे-ख़ता फाँसी हसीनों की अगर घर की अदालत और हो जाती ख़ता पेशाब दुश्मन का हुआ घर उन के पिटने से मज़ा जब था कि साले को इजाबत और हो जाती हमें चारों तरफ़ से घेर रक्खा है गिरानी ने मिरे अल्लाह ये दुनिया से ग़ारत और हो जाती अगर बोसा दिया है वस्ल का वा'दा भी कर लीजे इनायत की तो थोड़ी सी इनायत और हो जाती अगर दिल को बचाता मैं न ज़ुल्फ़ों के अड़ंगे से तो दुनिया भर से लम्बी शाम-ए-फ़ुर्क़त और हो जाती दुआ है 'बूम' की यारब ये कॉटन-मिल्ज़ की बाबत तरक़्क़ी और होती ज़ेब-ओ-ज़ीनत और हो जाती