अगर कुछ सरगिरानी दे रही है ख़ुशी भी ज़िंदगानी दे रही है चलो मस्ती करें ख़ुशियाँ मनाएँ सदा ये रुत सुहानी दे रही है बुढ़ापे की है दस्तक होने वाली ख़बर ढलती जवानी दे रही है गुज़र आराम से हो पाए इतना कहाँ खेती किसानी दे रही है फलें फूलें न क्यों नफ़रत की बेलें सियासत खाद-पानी दे रही है सदा सच्चाई के रस्ते पे चलना सबक़ बच्चों को नानी दे रही है तख़य्युल की है बस परवाज़ ये तो जो ग़ज़लों को रवानी दे रही है