अगर तुम को मुझ से मोहब्बत न होती ये सौदा न होता ये वहशत न होती जो हुस्न-ए-नज़र कार-फ़रमा न होता जहाँ में कोई अच्छी सूरत न होती बुतों से अगर होती ख़ाली ये दुनिया ख़ुदा की भी कोई हक़ीक़त न होती तेरी याद के साथ आते न आँसू अगर मुझ को तुझ से मोहब्बत न होती जो होता न मैं कुश्ता-ए-इश्क़ 'क़ैसर' ये सूरत न होती ये हालत न होती