अहद-ए-नौ तारीख़-ए-ला-महदूद की बातें करें आओ बैठें लम्हा-ए-मौजूद की बातें करें ढूँड कर लाएँ कहीं से हम भी अंदाज़-ए-अयाज़ क़स्र-ए-सुल्ताँ में दिल-ए-महमूद की बातें करें आग ठंडी किस तरह हो किस तरह आए बहार गुलशन-ए-हस्ती में हम बहबूद की बातें करें आतिश-ए-नमरूद सेहन-ए-गुल बना था और हम सेहन-ए-गुल में आतिश-ए-नमरूद की बातें करें नफ़रतों की आग शहर-ए-दिल को ख़ाकिस्तर करे इस से पहले साअ'त-ए-मसऊद की बातें करें कैसे मंज़िल पर पहुँच सकते हैं भटके क़ाफ़िले राहज़न जब मंज़िल-ए-मक़्सूद की बातें करें बारगाह-ए-रब में हो मक़्बूल हर हर्फ़-ए-दुआ सिद्क़-ए-दिल से हम अगर मा'बूद की बातें करें वज्द में आएँ परिंदे अब भी आहन मोम हो हम भी गर आवाज़ में दाऊद की बातें करें सज्दा-रेज़ी में वही आए मज़ा 'सिद्दीक़' फिर जब समीम-ए-क़ल्ब से मस्जूद की बातें करें