ऐ यार-ए-सितम-केश-ओ-जफ़ा-कार ख़बर ले मरता है तिरे इश्क़ का बीमार ख़बर ले इस तीर-ए-जिगर-दोज़ से जाँ आ गई लब पर मिज़्गाँ से तिरी हूँ मैं दिल-अफ़गार ख़बर ले ख़ालिक़ से दुआ ये है कि या-रब कहीं जल्दी वो पर्दा-नशीं यार-ए-तरह-दार ख़बर ले जल्द आ के ज़रा देख तू ऐ रश्क-ए-मसीहा जाता है अदम को तिरा बीमार ख़बर ले दुश्मन मिरे सब दोस्त हुए इश्क़ में तेरे जब कोई नहीं मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार ख़बर ले तक़दीर पर अपनी न हो किस तरह मुझे नाज़ है जाए तअ'ज्जुब कि वो दिलदार ख़बर ले मैं हिज्र में हैरान-ओ-परेशाँ रहूँ कब तक लिल्लाह बुत-ए-आईना-रुख़्सार ख़बर ले घुँघट को सनम बहर-ए-ख़ुदा रुख़ से उठा दे 'साबिर' है तिरा तालिब-ए-दीदार ख़बर ले