आइना देखता हुआ कोई एक पल में बदल गया कोई इस गली से निकल गया आगे मेरे बारे में पूछता कोई उस ने धीरे से कुछ कहा दिल में थम गया जो था शोर सा कोई दिल तलक रास्ता बनाता गया मेरी आँखों में झाँकता कोई दिल की ख़्वाहिश बस एक वस्ल तिरा हासिल-ए-ज़ीस्त मो'जिज़ा कोई 'रोज़' यूँ मुझ को देखते हैं आप काम है मुझ से आप का कोई