इन्हीं उलमा के हाथों दीन को दीनार होना है वो दिन नज़दीक है जिस दिन इन्हें फ़िन्नार होना है बहुत ख़ुश हो रहे हो कर के बै'अत का तक़ाज़ा तुम अभी तुम जानते क्या हो अभी इंकार होना है ये किस ग़फ़्लत में हो ऐ दोस्तो बेदार हो जाओ किसी मर्द-ए-मुजाहिद के लिए तय्यार होना है अभी से तुम परेशाँ हो अभी देखा ही क्या तुम ने किसी दिन तो तुम्ही को क़ाफ़िला-सालार होना है सफ़र मुश्किल है हर इक फ़ैसले पर ग़ौर करना तुम कहाँ पर मोम होना है कहाँ तलवार होना है तुम्हारी मुश्किलें आसान होंगी जब वो आएँगे अभी मजबूर हो लेकिन तुम्हें मुख़्तार होना है नक़ाब-ए-रुख़ अभी इक शख़्स का उठने को बाक़ी है वो जब पर्दा हटाएँगे तुम्हें दीदार होना है बहुत जल्दी उड़ा देंगे यज़ीद-ए-वक़्त की नींदें अभी ज़ंजीर पहनी है अभी झंकार होना है हमारी राह में बिखरे हैं जो हर सम्त अंगारे अरे 'रिज़वान' इसी आतिश को तो गुलज़ार होना है