ऐसा भी क्या हो सकता है हँसने वाला रो सकता है रोता हूँ कि दाग़ ये दिल का अश्क-ए-नदामत धो सकता है जिस ने दुनिया-दारी छोड़ी मर्ज़ी से वो सो सकता है राज़ी हूँ क़िस्मत पर लेकिन मर्ज़ी से कुछ खो सकता है बच्चों जैसा दिल हाज़िर है कुछ भी अच्छा बो सकता है बख़िया-गर क्या ख़्वाब किसी पर इक ता'बीर पिरो सकता है ज़ब्त से रुकने वाला 'साबिर' आँसू पत्थर हो सकता है