ऐसा हुआ नहीं है पर ऐसा न हो कहीं उस ने मुझे न देख के देखा न हो कहीं क़दमों की चाप देर से आती है कान में कोई मिरे ख़याल में फिरता न हो कहीं सनकी हुई हवाओं में ख़ुश्बू की आँच है पत्तों में कोई फूल दहकता न हो कहीं ये कौन झाँकता है किवाड़ों की ओट से बत्ती बुझा के देख सवेरा न हो कहीं 'अल्वी' ख़ुदा के वास्ते घर में पड़े रहो बाहर न जाओ फिर कोई झगड़ा न हो कहीं