ऐसे बीमार की दवा क्या है जो बताता नहीं हुआ क्या है कौन सुनता है इस ज़माने में किस से कहिए कि इल्तिजा क्या है लब-ए-बीमार थरथराते हैं झुक के सुनिए ज़रा दुआ क्या है मुझ को जो देखता है रोता है कोई क्या जाने माजरा क्या है हज़रत-ए-ख़िज़्र भी बता न सके ज़िंदगानी का मुद्दआ' क्या है दर्द पर दूसरों के हंस देना ये भी अच्छा है तो बुरा क्या है फ़ख़्र-ए-ख़ातून-ए-हिन्द है 'इस्मत' हम से पूछे कोई वफ़ा क्या है