ऐसे रूठे कि मुलाक़ात नहीं होती है मिल तो जाते हैं मगर बात नहीं होती है ख़ैर जी ये तो हुआ उन से निगाहें तो मिलीं न सही बात अगर बात नहीं होती है कुछ न पूछो मिरे अश्कों की रवानी का शुऊ'र इस क़रीने से तो बरसात नहीं होती है मैं इसी फ़िक्र में रहता हूँ कभी हाँ निकले उन के होंटों पे तो दिन-रात नहीं होती है ख़ौफ़-ए-अग़्यार हो या शर्म हो या मुझ से गुरेज़ कोई तो बात है जो बात नहीं होती है ख़ुद भी दुनिया जो अटक पड़ती है दीवानों से अस्ल में वाक़िफ़-ए-हालात नहीं होती है आँख उठती है नज़र मिलती है हँस देते हैं सारी बातें हैं मगर बात नहीं होती है बाज़ी-ए-इश्क़ की चालें ही अजब हैं 'शब्बर' हार जाते हैं मगर मात नहीं होती है