ऐसे सहरा से न रिश्ता बन जाए एक बारिश में जो दरिया बन जाए बुरा बनता हूँ कि शायद ऐसे वो मिरे सामने अच्छा बन जाए कामयाबी तिरे पाँव चूमे तेरे गालों पे सितारा बन जाए कोई यादों के घने जंगल से यूँ गुज़रता है कि रस्ता बन जाए पत्थर उस वक़्त नज़र आते हैं पानी जब आइने जैसा बन जाए