अक़्ल से काम कर By Ghazal << चाँदनी रात में हर दर्द सँ... गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं ह... >> अक़्ल से काम कर दहर में नाम कर मैं ने देखा उसे अपना दिल थाम कर क़ौम का हो भला ऐसा इक़दाम कर अपना हर रंज-ओ-ग़म तू मिरे नाम कर ज़िंदगी है यही सुब्ह से शाम कर मोल अपना बढ़ा मुझ को बे-दाम कर देर 'हाफ़िज़' न हो जल्द हर काम कर Share on: