अकेला हूँ मगर आबाद हूँ मैं क़फ़स में ही सही आज़ाद हूँ मैं मुझे दिल में लिए वो घूमता है कि उस की अन-कही फ़रियाद हूँ मैं ये दुनिया मक़्तलों से कम कहाँ है सभी के क़त्ल से नाशाद हूँ मैं मिरे सीने पे किस के नक़्श-ए-पा हैं ये किस की ज़ात से बर्बाद हूँ मैं ज़माना शौक़ से सुनता है मुझ को ज़माने से जुड़ी रूदाद हूँ मैं क़तार-ए-मर्ग में हूँ सोचता हूँ कि किस से पहले किस के बाद हूँ मैं