अलम भी हार गए यार बे-दिली देखो जिए बग़ैर ही इक उम्र काट दी देखो गुज़र चुका है ज़माना किसे गुज़ारूँ मैं मुझे गुज़ार रही है ये ज़िंदगी देखो मिरे मिज़ाज की सख़्ती पे तंज़ करते हो कभी तो देखने वालो मुझे सही देखो दिल-ओ-दिमाग़ पे क़ाबिज़ है वक़्त का सहरा सराब ख़्वाब में दिखते हैं तिश्नगी देखो शब-ए-फ़िराक़ है मैं हूँ सुख़न की महफ़िल है जो मुझ को देखना चाहो तो बस अभी देखो यही तो एक हुनर है जो मैं ने सीखा है दिखाना चाहूँ मैं तुम को जो तुम वही देखो नए चराग़ ही जल-जल के रौशनी देंगे 'बहर' को देखने वालो ख़याल भी देखो मआ'नी ज़ब्त के आँगन से रब्त करते हैं फलों के बोझ से इक शाख़ झुक गई देखो बड़ी बहन की पुरानी फ़्राक ईद के दिन किसी ग़रीब की बेटी की बेबसी देखो हज़ार रात का जागा था सो गया 'शारिक़' 'क़मर' की आज बुझी सी है रौशनी देखो