तेरे वा'दे पे ए'तिबार किया मुज़्तरिब दिल ने बार बार किया हम ने तो इस जहान-ए-फ़ानी में हो सका जितना इंतिज़ार किया उस को आना है आएगा लेकिन कब क़ज़ा ने ख़याल-ए-यार किया दामन-ए-इश्क़ वक़्त ने आख़िर देख तो कैसा तार तार किया दिल के ख़स-ख़ाने जब सुलगने लगे हम ने आँखों को आबशार किया तेरी मजबूरियाँ रही होंगी ठीक है हम ने ए'तिबार किया जल उठा तूर बुझ गए दीपक हम ने ख़ुद को 'फ़राज़' दार किया